सिरसा, 06 दिसम्बर —एक और जहां महिलाएं घरों में चूल्हे और रसोई तक सिमित रहती है वही ग्रामीण आँचल में एक महिला इन दिनों चर्चा का विषय बन गई है। शहरों में भी महिलाएं अब पुरुषों के साथ काम काज और नौकरियों में साथ देने लग गई है वही गांवों में अब महिलाएं पुरुषों को कॉम्पिटिशन देने में पीछे नहीं है। सिरसा के गांव शाहपुर बेगूं की एक महिला जिसने किसानी में अपना लोहा मनवाया है।
प्रगतिशील किसान मंजू रानी ने अपना अनुभव साँझा किया। मंजू रानी गांव में बने अपने खेत में लगातार पिछले करीब 12 सालों से खेती कर रही है। मंजू गेहूं सरसों नरमा कपास चना बाजरा सहित कई फसलों की खेती करती है। मंजू रानी अपने ससुर को अपना टीचर मानती है और ससुर राजा राम से लगातार खेती का पाठ पढ़ भी रही है। मंजू की किसानी देखकर हर कोई हैरान है। दुर्भाग्यपूर्ण मंजू रानी के पति का दो साल पहले निधन हो गया था ऐसे में अब मंजू के सामने अपने दो बच्चे, सास और ससुर को संभालने के साथ साथ खेती में कामयाबी हासिल करने की चुनौती भी सामने आ रही है। हैरानी की बात है कि मंजू केवल सातवी पास है और अपने ससुर के साथ मिलकर न केवल खेती बाडी संभालती है बल्कि अपने ससुर से ज्यादा कामयाब भी हो चुकी है। मंजू का ससुर राजा राम अब 70 साल का हो गया है ऐसे में अब मंजू के सामने एक और चुनौती आ खड़ी है।
गाय और भैस के गोबर और केंचूआ से बनाती है खाद
मंजू गाय और भैस के गोबर और केंचूआ से खाद बनाती है और केंचूआ खाद से ही खेती करती है। मंजू रानी का मानना है कि पेस्ट्रीसाइड और फ़र्टिलाइज़र से जमीन और खेती में भी जहर फैलता है जिससे लोगों में भी फसलों के जरिए जहर फैलता जा रहा है जिस वजह से वो पेस्ट्रीसाइड और फ़र्टिलाइज़र की बजाए केंचूआ खाद का प्रयोग करती है। यही नहीं मंजू खेत में जैविद खाद का ही उपयोग करती है। इसके लिए उसने अपने स्तर पर ही केंचुआ प्लांट भी लगाया हुआ है। प्रगतिशील किसान राजा राम ने बताया कि उन्हें अपनी बहू मंजू रानी पर गर्व है कि एक महिला होने के नाते एक सफल किसान बन गई है। उन्होंने कहा कि मंजू के प्रयासों से गांव की 20 महिलाओं को भी रोजगार मिला है। राजा राम ने बताया कि मंजू हर प्रकार की खेती कर रही है। केंचूआ खाद से फसलों को फायदा होता है जबकि पेस्ट्रीसाइड और फ़र्टिलाइज़र से फसलों को नुकसान होता है।