करनाल : चन्द्रिका ( TSN)- प्रदेशभर में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण जहां आमजन का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है,वहीं दुधारू पशुओं पर भी इसका खासा असर देखा जा रहा है। बढ़ते पारे के चलते दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन पर इसका असर पड़ा है। दुधारू पशु को गर्मी से बचाने के लिए पशुपालक जहां पंखे, कूलर और पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं वहीं देसी नुस्खों से भी अपने पशुओं को सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे है।
करनाल में डेयरी चलाने वाले पशुपालकों ने बताया कि भीषण गर्मी की वजह से उनके दूध उत्पादन में 30 से 40% की कमी आई है और उन्हें अपने पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि गर्मी के असर को कम करने के लिए पशुओं को दिन में दो तीन बार नहलाया जाता है इसके अलावा उनके खाने का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि चारे की कमी की वजह से पशुओं को साइलेज देते है ताकि उनका दूध उत्पादन बना रहे। वहीं अत्यधिक गर्मी के कारण पशुओं में कई तरह की बीमारियां का खतरा भी बना हुआ है जिस कारण उन्हें अपने पशुओं के स्वास्थ्य की चिंता है।
पशुधन को गर्मी से बचाने के लिए करें ये उपाए
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपमंडल अधिकारी डॉ बलजीत ने बताया कि पशुधन को गर्मी में लू से बचाने के लिए राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने विशेष एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने आम जन से अपील की है कि वे अपने पशुधन को लू से बचाने के लिए एडवाइजरी का पालन करें। एडवाइजरी में कहा गया है कि पशुओं का शेड खुला व हवादार होना चाहिए तथा शेड की छत ऊंची होनी चाहिए। पशुओं की शैड की छत अगर टीन की बनी है तो उस पर पराली आदि की परत डाल देनी चाहिए ताकि शेड के अन्दर का तापमान कम रहे। पशुओं के शेड की दिशा पूर्व से पश्चिम की तरफ होनी चाहिए। पशुओं के शैड में पंखे व डेजर्ट कूलर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पशु शेड के बाहर खुले में केवल घने छायादार वृक्ष के नीचे ही बांधने चाहिए। पशु को कम से कम दो बार जोहड़ आदि में ले जाना चाहिए।
पशुओं के पीने के लिए हर समय सामान्य तापमान या थोड़ा ठंडा पानी हो
डॉ बलजीत ने बताया कि पशुओं के पीने के लिए हर समय सामान्य तापमान या थोड़ा ठंडा पानी उपलब्ध होना चाहिए। छोटे पशुओं के लिए ध्यान रखा जाए कि पानी की हौदी की ऊंचाई कम होनी चाहिए या उनके लिए किसी खुले मुंह के बर्तन में पानी पीने की व्यवस्था होनी चाहिए। गांव में सभी सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित पानी की होदियों में पशुओं के पीने के लिए स्वच्छ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। गर्मियों में हरे चारे की कमी रहती है इसलिए इसकी उपलब्धता सुनिश्चित कर लेनी चाहिए तथा हरे चारे का संरक्षण कर साइलेज का प्रयोग भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पशुओं को आहार सुबह जल्दी और शाम को या रात को देना चाहिए। पशुओं को संतुलित व पौष्टिक आहार देना चाहिए तथा आहार में सानिज मिश्रण का प्रयोग अवश्य करें। गर्मियों में सुबह व शाम को पशु हीट में है या नहीं इसकी जांच कर लेनी चाहिए। विदेशी नस्ल या संकर प्रजाति की गायों में इस मौसम में दुग्ध उत्पादन में भारी कमी आ जाती है इसलिए उन्हें ऊष्मीय तनाव से बचाने के लिए विशेष ध्यान देना अति आवश्यक है। यदि किसी पशु को लू लग जाए तो पशुपालक तुरन्त अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय में सम्पर्क करें।