चंडीगढ़ (एकता): सतलुज-यमुना नहर विवाद मामले में हरियाणा और पंजाब के बीच पानी के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की। मीडिया सूत्रों के अनुसार कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि हरियाणा और पंजाब राज्य सरकार के बीच बैठक के बाद भी इस विवाद पर कोई समाधान नहीं निकला। कोर्ट में जल शक्ति मंत्रालय ने कहा कि वह इस विवाद को सुलझाने के लिए पूरा प्रयास कर रहा है। कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया कि हरियाणा और पंजाब सरकार इस मामले में समाधान निकालने के लिए तैयार है। जनवरी में दोनों राज्यों के साथ एक बैठक हुई थी।
कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया कि पंजाब चाहता है 1985 के पंजाब बंदोबस्त की एसवाईएल नहर को पूरा करने से संबंधित खंड पर चर्चा करने से पहले अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाए। पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट्स एक्ट (पीटीएए), 2004 अभी भी लागू है और अधिनियम के अनुसार हरियाणा के 3.5 एमएएफ के हिस्से में से 1.62 एमएएफ से अधिक अतिरिक्त पानी, जो अधिनियम के लागू होने की तारीख से हरियाणा को दिया जा रहा है। 2016 में पंजाब ने पहले ही एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि को डीनोटिफाई कर किसानों को लौटा दिया था। केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि इसलिए अब एसवाईएल नहर के निर्माण से कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है।