चंडीगढ़ | हरियाणा सरकार ने हाल ही में सेवानिवृत्त हुए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. अशोक खेमका को उनके रिटायरमेंट के तुरंत बाद बड़ी राहत दी है। सरकार ने पंचकूला थाने में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी की जांच को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। इस निर्णय के बाद, अब उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर स्वतः ही समाप्त मानी जाएगी।
डॉ. खेमका के विरुद्ध एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्होंने आईएएस अधिकारी संजीव वर्मा के खिलाफ भी एक क्रॉस एफआईआर दर्ज कराई थी। हालांकि संजीव वर्मा स्वयं इस मामले की जांच की मांग कर चुके थे और उन्होंने इसके लिए सरकार व पुलिस महानिदेशक को कई पत्र भी लिखे थे। वह यह मुद्दा राज्य मानवाधिकार आयोग तक भी ले गए, लेकिन सरकार ने उनकी एफआईआर की जांच की अनुमति भी नहीं दी।
तीन साल पुराना नियुक्ति विवाद बना विवाद की जड़
यह पूरा मामला हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में नियुक्तियों को लेकर खेमका और वर्मा के बीच तीन साल पहले उपजा था। दोनों अधिकारियों ने एक-दूसरे के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करवाई थी।
गौरतलब है कि वर्ष 1991 बैच के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका को उनके लंबे प्रशासनिक करियर के दौरान कई बार ट्रांसफर और विवादों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्हें ईमानदार अफसर के रूप में पहचाना जाता रहा है। वहीं, 2004 बैच के अधिकारी संजीव वर्मा वर्तमान में खेल व आयुष महानिदेशक तथा विदेश सहयोग विभाग के प्रमुख पदों पर कार्यरत हैं और उनकी सेवा सेवानिवृत्ति 2027 में निर्धारित है।
अनुमति के बिना दर्ज हुई थी एफआईआर
किसी भी आईएएस अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से पहले राज्य सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य होता है। लेकिन पंचकूला पुलिस ने उस समय आश्चर्यजनक रूप से बिना सरकारी स्वीकृति के एफआईआर दर्ज कर दी थी।
पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने उस समय सार्वजनिक रूप से डॉ. खेमका का समर्थन किया था। अब सरकार द्वारा दोनों एफआईआर की जांच की अनुमति न देने से यह पूरा मामला यहीं समाप्त होता नजर आ रहा है।