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डॉ. भीमराव अम्बेडकर का दुनिया व देश के लिए अथक योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता -चित्रा सरवारा

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अम्बाला – आज अम्बाला छावनी के टांगरी पार स्तिथ आम आदमी पार्टी के कार्यालय में डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन पर प्रकाश डालकर संविधान रचियता को उनके जन्मदिवस पर याद किया गया। इस अवसर पर चित्रा ने कार्येकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा की डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी एक श्रेष्ठ चिन्तक,ओजस्वी लेखक,तथा यशस्वी वक्ता एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माणकर्ता थे। विधि विशेषज्ञ,अथक परिश्रमी एवं उत्कृष्ट कौशल के धनी व उदारवादी,परन्तु सुदृण व्यक्ति के रूप में डॉ अंबेडकर ने संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।डॉ.अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है।

चित्रा ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा की डॉ.अम्बेडकर ने कोलम्बिया विश्वविद्यालय से पहले एम.ए.तथा बाद में पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की । उनके शोध का विषय “भारत का राष्ट्रीय लाभ” था। इस शोध के कारण उनकी बहुत प्रशंसा हुई। 1923 में बम्बई उच्च न्यायालय में वकालत शुरु की अनेक कठनाईयों के बावजूद अपने कार्य में निरंतर आगे बढते रहे।

चित्रा ने कहा की डॉ.अम्बेडकर जी की लोकतंत्र में गहरी आस्था थी। वह इसे मानव की एक पद्धति मानते थे। उनकी दृष्टि में राज्य एक मानव निर्मित संस्था है। इसका सबसे बङा कार्य समाज की आन्तरिक अव्यवस्था और बाहरी अतिक्रमण से रक्षा करना है।उन्होंने कहा की अनेक कष्टों को सहन करते हुए डॉ.अम्बेडकर जी ने अपने कठिन संर्घष और कठोर परिश्रम से प्रगति की ऊंचाइयों को स्पर्श किया था।उनके अपने गुणों के कारण ही संविधान रचना में, संविधान सभा द्वारा गठित सभी समितियों में 29 अगस्त,1947 को “प्रारूप-समिति” जो कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण समिति थी,उसके अध्यक्ष पद के लिये बाबा साहेब को चुना गया।

प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. अम्बेडकर ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। संविधान सभा में सदस्यों द्वारा उठायी गयी आपत्तियों,शंकाओं एवं जिज्ञासाओं का निराकरण उनके द्वारा बङी ही कुशलता से किया गया। उनके व्यक्तित्व और चिन्तन का संविधान के स्वरूप पर गहरा प्रभाव पङा।उनके प्रभाव के कारण ही संविधान में समाज के पद-दलित वर्गों,अनुसूचित जातियों और जनजातियों के उत्थान के लिये विभिन्न संवैधानिक व्यवस्थाओं और प्रावधानों का निरुपण किया अंत में परिणाम स्वरूप भारतीय संविधान सामाजिक न्याय का एक महान दस्तावेज बन गया।चित्रा ने कहा की भारत रत्न से अलंकृत डॉ. भीमराव अम्बेडकर का अथक योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।

इस अवसर पर चित्रा सरवारा ने आज के दिन को ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा की आज ही के दिन श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 में श्री आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी उन्होंने कहा 14 अप्रैल के दिन को वैसाखी के त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है। शहीदों को याद करते हुए चित्रा ने कहा की अमृतसर के जलियांवाला बाग में जरनल डायर ने अनेको बेकसूर लोगो पर गोलियां चलवाई थी।इस हत्याकांड में हजारों देश भक्तो ने अपना बलिदान दिया कई हजारो लोग जख्मी हो गए थे।यह अंग्रेजी हुकूमत की एक सोची समझी साजिश और दमनकारी नीति थी जिसके अनुसार लोगो को मारा गया ताकि कोई भी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कोई आवाज ना उठा सके।

इस अवसर पर मुख्य रूप से चित्रा सरवारा,गुरचरण सिंह,दिलबाग सिंह, सुरेश त्रेहन,निर्मल खोड़ा,नरेंद्र शाह,वीरेन्द्र गांधी,राजकुमार सुंदरनगर,राजन शास्त्री,राम,रोबिन खोड़ा,चन्द्र भूषण,मुकेश लोहाट,  आशीष,अविनाश,विजय गुम्बर, राजीव अनेजा,ठाकुर सिंह सैनी, राजिंदर शर्मा,परवेश शर्मा,रोहित,  राहुल,धर्मवीर,हिमांशु,प्रेम सागर, मनजीत सैनी,गुरतेज सिंह,जपजीत सिंह,राकेश यादव,अरुण कौशिक, पुरुषोत्तम इत्यादि ने भी बाबा साहिब को याद करते हुए उनको पुष्प अर्पित किए।

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