कैथल, 15 नवंबर – ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री नीम साहिब पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। युद्ध के समय में दिल्ली जाते समय श्री गुरु तेग बहादुर जी यहां पर तीन दिन तक रुके और यहां पर लोगों को ज्ञान दिया था। मान्यता है कि इस गुरुद्वारे में स्थित नीम के नीचे गुरुजी रुके थे, जहां उन्होंने सत्संग किया था। दोनों ही गुरुद्वारों की काफी मान्यता है। यहां पर देशभर से सिख श्रद्धालु पहुंचते हैं। गुरुओं के प्रकाश पर्व पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
जानिये क्यों पड़ा गुरुद्वारे का नाम नीम साहिब
गुरुद्वारा नीम साहिब शहर के डोगरा गेट पर स्थित है। यहां मुगलों से युद्ध के दौरान सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी दिल्ली जाते समय यहां रुके थे और उन्होंने नीम के वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान लगाया था। गुरुद्वारा परिसर के मुख्य भवन में श्री गुरु ग्रंथ साहिब विराजमान हैं। गुरुद्वारे में स्थापित सरोवर में श्रद्धालु अमावस्या के दिन सुबह के समय स्नान करने के लिए पहुंचते हैं।
मान्यता है कि गुरुद्वारा के स्थान पर सिख गुरु तेग बहादुर अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। कहा जाता है कि गुरुजी सुबह स्नान के बाद नीम के पेड़ के नीचे ध्यान लगाते थे। ध्यान लगाते समय उन्हें उनके अनुयायियों ने देख लिया। एक अनुयायी गंभीर बुखार से पीड़ित हो गया। गुरुजी ने उन्हें नीम के पत्ते खाने के लिए दिए और वह बिल्कुल ठीक हो गया। लंबे समय के बाद गुरुद्वारे का निर्माण इस जगह पर हुआ। दूरदराज से सभी समुदाय के लोग यहां माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं और इस गुरुद्वारे में निर्मित सरोवर में डुबकी लगाते हैं।